‘क्षेत्रवाद, जातिवाद की राजनीति करने वालों को सबक सिखाएंगे’

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देहरादून। चहुंमुखी विकास की जिन उम्मीदों के साथ उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ उससे अब तक लोग वंचित हैं। राज्य निर्माण के 18 सालों बाद भी विकास के बजाय कुमाऊं-गढवाल, पर्वतीय-मैदानी मूल, ठाकुर-ब्राह्मण जैसे बेमतलब के मुद्दों को हवा देने वाले बयानवीरों की रोटियां सेंकने में हम समय खपा रहे हैं। अब बहुत हो गया प्रदेश के भीतर रहने वाले सभी उत्तराखंडी हैं और मूलभूत समस्याओं को जड से उखाडने के लिए राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर काम करेंगे। सोमवार को जीएमएस रोड स्थित सर्व समाज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार वालिया के आवास पर एकत्र हुए तमाम संगठनों, राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में सभी ने एकमत यह निर्णय लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कांग्रेस के पूर्व उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश के भीतर रह रहे सभी लोग उत्तराखंडी हैं। सभी को उनके अधिकार मिलने चाहिए। इसके लिए वे सर्व समाज महासंघ के साथ हैं। उन्होंने कहा कि मुद्दाविहीन और विकास से भटकाने की राजनीति के दिन लद गए हैं। लोग इन सभी चीजों को समझते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भीतर रहने वाले हर समाज के व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार मिलने चाहिए।
विशिष्ट अतिथि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत ने कहा कि जो प्रदेश के भीतर रहने वाले प्रत्येक निवासी को उसके अधिकार मिलने चाहिए। सबका विकास हो इस बात पर वे सर्व समाज महासंघ के साथ हैं। उन्होंने कहाकि प्रदेश में रह रहे हर व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकार मिलें इसके लिए उनसे जो भी बन पडेगा वे करेंगे।
पूर्व राज्यमंत्री एवं सर्व समाज महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रामकुमार वालिया ने अतिथियों का स्वागत किया और सभी से प्रदेश के भीतर रह रहे लोगों की समस्याओं को राजनीति के चश्मे से नहीं देखने की बात कही। उन्होंने कहाकि वे खुद उत्तराखंड राज्य निर्माण के आंदोलन में सक्रिय रहे। उन्होंने कहाकि यह राज्य हम सभी का है। इसलिए जातिवाद, क्षेत्रवाद की राजनीति करने वालों को हम सभी को मिलकर रोकना होगा।
महासंघ की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष सारिका प्रधान ने कहा कि नेपाल के निवासी भारत में और भारत के निवासी नेपाल में अपना व्यापार कर सकते हैं। नेपाल और भारत में रोटी-बेटी का रिश्ता है। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी में रह रहे नेपाल मूल के लोग जिनकी तीन-चार पीढियां यहीं मर खप गईं हैं उनके जमीनों की रजिस्ट्रियां नहीं हो रही हैं। वह खुद ही पिछले दिनों उत्तरकाशी गई तो इस समस्या की जानकारी हुई। उन्होंने समस्याओं का समाधान करने की सरकार से मांग की। इस दौरान समाजसेवी डा एस फारक, एचएस राठौर ‘गुरूजी’, आकाश वालिया, दिनेश राठौर, समाजसेवी बिजेंद्र सिंह बिष्ट समेत तमाम सामाजिक संगठनों से जुडे प्रतिनिधि मौजूद रहे।

अपने घर में झेल रहे जिल्लतः भाटी

पार्षद ओमेंद्र भाटी ने कहा कि उत्तराखंड बनने से पहले यहां वर्षों से रह रहे लोग राज्य निर्माण के बाद से जिल्लत झेल रहे हैं। उन्होंने कहाकि इसकी जिम्मेदार राज्य निर्माण के बाद बनी सरकारें हैं। उन्होंने कहाकि 50-60 साल से उत्तराखंड में रह रहे लोगों के जाति, निवास प्रमाण-पत्र नहीं बन रहे हैं। अब इतने सालों से यहां रह रहे लोगों का अपने पैतृक स्थानों में भी कोई लिखित में प्रमाण नहीं हैं। ऐसे में इनके यहां प्रमाण-पत्र नहीं बनने पर पैतृक स्थानों में भी दुत्कार मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को इन समस्याओं का निराकरण करना ही होगा।

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