Budget 2020: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट करेंगी पेश

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इसके लिए उन्होंने दर्जनभर अर्थशास्त्रियों, शीर्ष उद्योगपतियों और किसानों एवं अन्य संगठनों के साथ बैठक कर चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी बजट को लेकर खुद दिलचस्पी दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री और सीतारमण की कोशिश आगामी बजट में इस तरह के उपाय किए जाने की है ताकि आने वाले समय में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके। मोदी ने भी इसको लेकर कई बैठकें की हैं।

देश को स्लोडाउन की चपेट से निकालकर पटरी पर लाने के लिए सीतारमण का यह बजट काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। ऐसे में आइए जानते हैं, वे कौन से पांच लोग हैं जो सरकार की आय और खर्च का लेखा-जोखा तैयार करने में सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं।

राजीव कुमार (वित्त सचिव)

राजीव कुमार वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी हैं। कुमार 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं। उनके कार्यकाल के दौरान ही सरकार ने बैंकिंग व्यवस्था में सुधार से जुड़े कई अहम कदम उठाए हैं। इनमें सरकारी बैंकों के विलय और कर्ज में डूबे बैंकों में पूंजी डालने जैसे उपाय शामिल हैं। इस बात की उम्मीद है कि बजट में बैंकिंग सेक्टर को संकट से उबारने एवं अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ावा देने के लिए कर्ज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर उन्होंने जरूरी सुझाव दिए हों।

अतनु चक्रवर्ती (आर्थिक मामलों के सचिव)

चक्रवर्ती के पास सरकारी परिसंपत्तियों के विनिवेश से जुड़ी विशेषज्ञता है। बजट बनाने में चक्रवर्ती की भूमिका काफी अहम रहने वाली है क्योंकि हाल ही में जब आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पांच फीसद से नीचे चली गई थी, तो चक्रवर्ती की अध्यक्षता में ही एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश की रूपरेखा तैयार की थी। उनकी राय भारत के बजट संबंधी घाटे को तय करने के लिहाज से बहुत अहम होगी। इसके अलावा इकोनॉमी में धन डालने के लिहाज से भी उनके सुझाव जरूरी होंगे।

टी.वी. सोमनाथन (एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी)

सोमनाथन की वित्त मंत्रालय में लेटेस्ट इंट्री हुई है। उनका काम सरकार के खर्चों में इस तरह से कमी लाने की है ताकि डिमांड को बूस्ट करने में कोई दिक्कत ना आए। हालांकि, उनके ऊपर अनावश्यक खर्चों को चिह्नित करने की जिम्मेदारी है। वह पहले प्रधानमंत्री कार्यालय में काम कर चुके हैं, इसलिए वह इस बात से अवगत हैं कि मोदी किस प्रकार का बजट चाहते हैं।

अजय भूषण पाण्डेय (राजस्व सचिव)

पाण्डेय पर राजस्व यानी संसाधनों को बढ़ाने की जिम्मेदारी है। स्लोडाउन के बीच राजस्व की कमी के अनुमान के बीच संभवतः उनकी जिम्मेदारी सबसे मुश्किल है। कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के बाद अब तक उस तरह का निवेश नहीं आया है, जिससे टैक्स कलेक्शन बढ़े। वह प्रत्यक्ष कर संहिता में कुछ प्रस्तावों को एडॉप्ट करने के बारे में अपनी राय दे सकते हैं।

तुहीनकांत पाण्डेय (विनिवेश सचिव)

पाण्डेय के पास Air India Ltd एवं अन्य सरकारी कंपनियों के विनिवेश की जिम्मेदारी है। विनिवेश से जुड़े ये लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इस बात का संभावना है कि सरकार इस साल 1.05 ट्रिलियन रुपये के विनिवेश का लक्ष्य हासिल करने से बड़े अंतर से चूक जाएगी। हालांकि, अगले साल के लक्ष्य के लिहाज से उनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाली है।

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