वनों से ही है देवभूमि उत्तराखंड का अस्तित्व

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अल्मोड़ा में सुदूर पाखुड़ा गांव में वनों की आग से सुरक्षा एवं प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। ग्रामीणों को वनाग्नि के दुष्परिणामों की जानकारी देने के साथ दावाग्नि नियंत्रित करने के उपाय बताए । इस मौके पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर में कई रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

वनों पर ही निर्भर हैं रोजगार व दैनिक जरूरतें

उड़ान वेलफेयर सोसाइटी, रेड क्रॉस सोसाइटी व छावनी परिषद रानीखेत की ओर से आयोजित शिविर का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि कैंट की सीईओ ज्योति कपूर ने कहा कि हरियाली समृद्ध उत्तराखंड में रोजगार व दैनिक जरूरतें वनों पर ही निर्भर है। दावाग्नि से जहां वनों व जैव विविधता को भारी हानि होती है, वहीं पर्यावरण व मिट्टी के रसायनिक तत्व भी प्रभावित होते हैं। विशिष्ट अतिथि वन विभाग के एसडीओ चंदन गिरी गोस्वामी ने वनों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, देवभूमि उत्तराखंड का अस्तित्व वनों से ही है। जंगलों के संरक्षण व आग से बचाने के लिए सभी को जागरूकता के साथ एकजुट प्रयास करने होंगे। रेड क्रॉस के रविंद्र नाथ वर्मा, डॉ. बीपी सिंह, योगेश वर्मा, रंजीत सिंह आदि विशेषेज्ञों ने भी जंगलों को आग से बचाने के उपयों की जानकारी दी। इस मौके पर आयोजित चिकित्सा शिविर में ग्रामीणों ने स्वास्थ्य परीक्षण कराया, उन्हें निरूशुल्क फर्स्ट एड किट भी बांटी गईं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता उड़ान सोसाइटी के अध्यक्ष पूर्व कर्नल जीजी गोस्वामी, संचालन सचिव प्रीति गोस्वामी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. ओपीएल श्रीवास्तव, भारतीय कराटे महासंघ के उपाध्यक्ष सतीश जोशी, अर्चना दूबे, देवांशु साह गंगोला, सोनू सिद्दीकी ने सहयोग किया। एनयूजे के जिलाध्यक्ष नंद किशोर गर्ग, कैलाश सती, नीरज साह, बुद्धिबल्लभ आदि मौजूद रहे।

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