Audit of Cooperative: क्रियान्वयन समिति की बैठक में लिए गए कई फैसले

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नई दिल्ली। Audit of Cooperative: पूर्व में सहकारिता शिथिलता और भ्रष्टाचार के कारण बदनाम रही है। लेकिन इसे सक्रिय और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र और राज्य जिस तरह इकट्ठे आए हैं उससे साफ है कि इसकी छवि पूरी तरह बदलने वाली है। केंद्र सरकार के साथ राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ नाबार्ड और अन्य पक्षकारों को जहां उनकी जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। वहीं उसके क्रियान्वयन और परियोजना (Audit of Cooperative) की निगरानी के लिए विशेष समितियां गठित कर दी गई हैं।

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आपरेशनल गाइडलाइंस पारित

सप्ताह भर हुए फैसले पर अमल की तैयारी को लेकर हुई नेशनल लेवल मानिटरिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी की बैठक में आपरेशनल गाइड लाइंस को पारित कर दिया गया है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने वार्षिक बजट में पैक्स के कंप्यूटराइजेशन के लिए प्रविधान करना होगा।

फैसले पर अमल तेजी से शुरू

सहकारी क्षेत्र की प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटीज (पैक्स) को डिजिटल बनाने की दिशा में लिए गए फैसले पर अमल तेजी से शुरू कर दिया गया है। केंद्रीय कैबिनेट के फैसले के लगभग एक सप्ताह के भीतर ही राज्य व अन्य पक्षकारों के साथ सहमति बना ली गई। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इसके पहले चरण में सभी प्रदेशों में राज्य और जिला स्तरीय निगरानी व क्रियान्वयन समिति (Audit of Cooperative) का गठन किया जाएगा।

आडिट के लिए चलाया जाएगा अभियान

इसके साथ ही बैठक में यह तय किया गया कि जिन पैक्स को कंप्यूटराइजेशन प्रस्तावित किया जाए, उसका पहले आडिट जरूर करा लिया जाए। इसके लिए सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में युद्ध स्तर पर आडिट के लिए अभियान चलाया जाएगा। पैक्स कंप्यूटराइजेशन का यह पहला चरण होगा।

होंगे ये फायदे

इन्हें सहकारी समितियों (Audit of Cooperative) के नाम भी जाना जाता है। सहकारी समितियों (पैक्स) की सक्रियता से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां रोजी रोजगार बढ़ेगा, वहीं किसानों को स्थानीय स्तर पर बीज, फर्टिलाइजर व कीटनाशक उपलब्ध होने लगेगा। उनकी उपज की बिक्री में सहयोग और रियायती कर्ज मिलने में सहूलियत मिलेगी।

पैक्स गठित करने का लक्ष्य निर्धारित

देश में फिलहाल 63 हजार पैक्स सक्रिय है, जबकि 32 हजार पैक्स विभिन्न अनियमितताओं और गड़बडि़यों के चलते निष्कि्रय पड़ी हुई है। बायलाज में मामूली संशोधन के साथ उन्हें सक्रिया करने के साथ देशभर में तीन लाख पैक्स गठित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिससे देश की सभी ग्राम पंचायतें कवर हो जाएंगी।

2500 करोड़ रुपए मंजूर

इनके कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए इनके कंप्यूटराइजेशन के बाबत केंद्रीय कैबिनेट ने 2500 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। पारित आपरेशनल गाइडलाइंस में पैक्स से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संबद्ध प्रत्येक पक्षकार का दायित्व निर्धारित कर दिया गया है। पैक्स कंप्युटराइजेशन वाली परियोजना में राज्यों को 30 फीसद खर्च करना होगा।

साफ्टवेयर के प्रविधानों पर सौंपी गई जिम्‍मेदारी

इसके लिए उन्हें बजटीय प्राविधान करना होगा। इसके लिए राज्यों ने अपनी सहमति दे दी है। कंप्यूटराइजेशन के लिए चिन्हित अथवा चयनित पैक्स के प्रस्ताव तैयार करने और उसके लिए साफ्टवेयर के प्रविधानों पर केंद्र, राज्य, जिला व नाबार्ड को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

परियोजना की होगी निगरानी

परियोजना को लागू करने और उनकी निगरानी करने के लिए जिला स्तर तक समितियां असल फैसला लेंगी। राष्ट्रीय स्तर की निगरानी व क्रियान्वयन समिति की बैठक में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों के अलावा राज्य सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक, नाबार्ड के चेयरमैन व उसके अन्य आला अफसर और नीति आयोग के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जबकि बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार ने की।

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