मुख्यमंत्री के शिलान्यास कार्यक्रम में वकीलों ने किया हंगामा

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पुरानी जेल परिसर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सदन के लिए आवंटित भूमि पर सुरक्षा कार्यों के शिलान्यास कार्यक्रम हंगामे की भेंट चढ़ गया। तमाम अधिवक्ता कार्यक्रम स्थल पहुंचे और हंगामा करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। आरोप लगाया कि 16 फरवरी को इस जमीन पर चैंबर्स निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ था और अब सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सदन के लिए शिलान्यास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने संबोधन शुरू किया तो अधिवक्ताओं ने ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। इस पर मुख्यमंत्री का भी पारा चढ़ गया और मंच से बोले कि ‘देखों इन लोगों को। बिल्कुल भी लिहाज नहीं है। पढ़े-लिखे कहे जाते हैं और मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। अरे इनके परिवार से भी तो कोई स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी रहे होंगे।’

शुक्रवार को पुरानी जेल परिसर में शिलान्यास कार्यक्रम चल रहा था, इसकी भनक लगते ही तमाम अधिवक्ता आयोजन स्थल पहुंच गए और हंगामा करने लगे। अधिवक्ताओं की बढ़ती संख्या और आक्रोश को देख पुलिस व प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन और एसएसपी निवेदिता कुकरेती मौके पर पहुंचे। अधिवक्ताओं को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन अधिवक्ता किसी की सुनने को राजी नहीं हुए। अधिवक्ता बोले, सरकार ने हमें बेवकूफ बनाया।

जेल परिसर में जमीन जिला कमांडेंट होमगाड्र्स और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सदन के नाम आवंटित है। जबकि, अधिवक्ताओं के चैंबर्स के लिए भी साढ़े पांच बीघा भूमि आवंटित करने की बात कही गई थी, लेकिन कागजों में कोई जमीन चैंबर्स के लिए नहीं है। इस बीच मुख्यमंत्री का संबोधन खत्म हुआ था तो कुछ अधिवक्ता पंडाल में घुस गए।

इस पर सीओ सदर चंद्रमोहन नेगी और कुछ अधिवक्ताओं के बीच नोकझोंक भी हो गई। हंगामे के बीच पुलिस ने मानव श्रृंखला बनाकर मुख्यमंत्री को उनकी कार में बैठाया। उनके निकलते ही अधिवक्ताओं ने उस तारबाड़ को भी उखाड़ दिया, जिसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सदन को आवंटित जमीन की पैमाइश के बाद लगाया गया था। कहा कि यह संपत्ति हमारी है। मौके पर मौजूद पुलिस ने भी अधिवक्ताओं को रोकने की हिम्मत नहीं जुटाई।

‘शायद आपको गलतफहमी हो गई’

उत्तराखंड स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन के संरक्षण एवं पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा ने मंच से अधिवक्ताओं को कहा कि हंगामा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। शायद आपको कुछ गलतफहमी हो गई है। मैं सार्वजनिक रूप से कहता हूं कि आपके लिए आवंटित जमीन में से सदन निर्माण को एक इंच जमीन भी नहीं ली जाएगी। वो पूरी पड़ताल करें। दाखिल-खारिज सदन के लिए हो चुका है। जिलाधिकारी ने यह कार्यवाही की है। उन्होंने बताया कि दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दो बीघा जमीन आवंटित की थी।

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